मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

ऐसा है मेरा किरदार

समझ ना सका जिसे आज तक कोई
ऐसा है मेरा किरदार

सख्त हो जाता है पत्थर सा हल्की चोट से
पिघल जाता है पल में तेरे मीठे बोल से

ऐसा है मेरा किरदार

जकड दिया गया जब भी उड़ना चाहा
समाज ने झूठे रिश्तों नातो से बांधा मुझे
में तो हर वक़्त विश्वास में मारा गया
मेरा तो वक़्त भी उधारा ही बीत गया

ऐसा है मेरा किरदार

जब कभी बयाँ किया दिल की हसरतो को
अरमान मेरा टूट गया जीवन की नेकियों पे
मेरे ही हिस्से क्यों आया शराफत का चोला
नटखट है जब दुनिया सारी क्यों हूँ में भोला

ऐसा है मेरा किरदार

प्यार को जब भी पाना चाहा
नफरतों ने आकर है घेरा
मेरे फूल से दिल पर
कांटो ने जमाया डेरा

ऐसा है किरदार मेरा

जो रास्ते कभी खत्म ना हो
उन राहों का राही मुझे है चुना
मंजिल तो दूर, राहों ने ही लूट लिया

ऐसा है मेरा किरदार

जिस के भी लिए लूटाया था जीवन अपना
सब ने वक़्त बे वक़्त दामन छुड़ा लिया अपना
सजाया करते थे महफ़िल जो तोड़ गए सपना
ऐसा है मेरा किरदार

अब हर रिश्ता झूठा लगता है इस संसार का
नफरत से भरे दिल में ना रहा कोई कोना प्यार का
जीवन नाम इंसानियत का, ना किसी धर्म के ठेकेदार का

ऐसा है मेरा किरदार

जोर जबरदस्ती होती जहाँ , क्या काम है प्यार का
हम तो पानी हो गए जहाँ, संचार हो मधुर व्यवहार का
हो सके तो मतलब समझना मेरे इनकार का
मेरे जीवन में कोई साथ नहीं किसी के प्यार का

ऐसा है मेरा किरदार

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क़िरदार कड़वे का होता है कुछ ऐसा
खुद दर्द में मर जाएगा पर तेरे दुःख हर लाएगा

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कड़वे शब्द बोलता हूँ