शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ ऐसा कमाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

मेरे चंद अपनों को
कुछ और दूर है किया

जिनके पलकों के आंसूं
मोती बन जाया करते थे
उन नैनो से बेगाना कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

खिलता था चेहरा जिनका
मुझ से मिलकर
आज उसके जी का जंजाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

चूमते थे जो मेरे शब्दों को अपने होंठो से
आज उसने उन होंठो से
मेरा ही शब्दों को  घायल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

चेहरे पर छायी रहती थी शबनम सी हंसी
आज उस चेहरे को लाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

जिनके जिक्र से दिल खिल जाया करते थे
आज उनके जिक्र ने
महफ़िल ए गम का माहौल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

मेरे महबूब के जिस मांग को लाल भरना था
उसके हाथ को खुद के खून से लाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

सदियो की कसमें खाने वाले सनम को
एक पल में
पल पल का दुश्मन कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

जिनके होंठ हंसी से भरे थे
आज गम से बेहाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

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