कभी तू पागल
कभी में पागल
जिंदगी हो गयी दुस्वार
न तेरा प्यार
न मेरा प्यार
तेरा वजूद मेरी मोहब्बत
मेरा वजूद तेरी नफरत
मेरे आंसू और तेरी हंसी
मेरे शिकवे तेरे बहाने
वो अनजाने लम्हे
तेरे रास्तो पर बिताये
होंठो की मुस्कान को
अपने किस्से बनाये
हर कोने का ताना
पर तूने न मुझे जाना
लिखू स्याही लाल से
खून में वो बात नहीं
जब से फेरे डाले तेरे
यार टूट गए बतेरे
Sochta hoon ki har pal likhoon par likhne baithta hoon to wo pal hi gujar jata hai
रविवार, 13 अक्टूबर 2013
अलफ़ाज़ मेरे
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