रविवार, 13 अक्तूबर 2013

अलफ़ाज़ मेरे

कभी तू पागल
कभी में पागल
जिंदगी हो गयी दुस्वार
न तेरा प्यार
न मेरा प्यार
तेरा वजूद मेरी मोहब्बत
मेरा वजूद तेरी नफरत
मेरे आंसू और तेरी हंसी
मेरे शिकवे तेरे बहाने
वो अनजाने लम्हे
तेरे रास्तो पर बिताये
होंठो की मुस्कान को
अपने किस्से बनाये
हर कोने का ताना
पर तूने न मुझे जाना
लिखू स्याही लाल से
खून में वो बात नहीं
जब से फेरे डाले तेरे
यार टूट गए बतेरे

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कड़वे शब्द बोलता हूँ