बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

tohfa

मेरे चाचा और चाची ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में रहते है पिछले दिनों मेरे दादा जी और दादी जी उनके पास गए थे।

उनके आने पर उनके साथ उन्होंने एक फ़ोन मेरे लिये भेजा
मेरा दिल भर आया एक तरफ जहाँ मेरा विश्वास दुनिया से उठ चूका था वही में सोचने लगा की ऐसा क्यों?

शायद उस कुदरत ने ही लिख दिया मेरी तकदीर में की जीना सिर्फ दुसरो के लिए । फल समय देगा पर तू अपने करम में लगा रह। मेरा पैर बहुत जल्दी उठता है मदद के लिए पर कभी कभी परिवार की जिम्मेवारी आड़े आ जाती है ।

मानता हूँ खुद के लिए भी कुछ करना होता है पर क्या इतना कुछ काफी नहीं होता की हम बहुत कुछ औरो के लिए करते है ये और बात कुछ ऐसे भी है जिनके लिए कितना कर लो पर वो आप को बुरा ही कहेंगे।।

पर ऐसे तोहफे मिलते रहे मेरे होंसले बढते रहे औरो की सेवा में।।

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