ख़ामोश रहने लगा है
शायद थोड़ा उदास भी
मुझे से बातें करने से कतराता है
हर लम्हा वो नजरें जो चुराता है
कभी मिल भी जाए गर नजर
एक झूठी मुस्कान बिखेर जाता है
मेरे सीने को इतने प्रहार कर जाता है
फिर भी एक कोने में अलख जगाता है
एक ख़ुशी आखिर तू है कहीं
दिल को सकूँ दिलाती है
तेरी मौजूदगी ही तो है
मेरी नब्ज़ चलती जाती है
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बेशक़ मेरी राहों से, बंद हुआ तेरा आना
मगर आज भी पायल की खनक का हूँ दीवाना
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