मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

भटकती ज़िन्दगी

रोजाना सुनने में आता है टीवी पर आज ये हो गया वो हो गया  जानते हो ये सब हमेशा से होता आया है। पर प्रसार के माध्यमो की कमी से लोगो को पता नहीं चलता था तो मुद्दे इतने बड़े लेवल पर गंभीर नहीं होते थे।
और इस का फायदा चंद रसूखदार लोग उठाते है। सामान्य व्यक्ति अपनी उलझनों के साथ और उलझन बढ़ा लेता है।
दिल्ली में माननीय केजरीवाल जी ने क्या किया इसका ताजा उदहारण है। उसने सभी कांग्रेस और बीजेपी व् अन्य सभी पार्टियो को चोर बताया। सत्ता पर काबिज होते ही लालू जैसे मशहूर चारा घोटाले के साथ खड़े नजर आए। मीडिया ने सवाल उठाये तो अन्य राजनेताओ की तरह सफाई देते नजर आये। आज के समय सभी नेताओ में वो सत्ता के सबसे लोभी व्यक्ति है। पैसे के लोभ की सीमा हो सकती है पर सत्ता के लोभ की नहीं होती। हार्दिक पटेल भी इस कड़ी का मोहरा है उसने भी पाटीदार आंदोलन को अपनी राजनीती में चमकने की बैसाखी बना लिया। अण्णा जैसे ईमानदार व्यक्तियो की भी छवि इन लोगो की वजह से धूमिल हुई।
इन लोगो ने साबित कर दिया अगर आप झूठ को भी चिल्लाकर अच्छे से पेश करो तो वो सच हो जाता है। भ्रष्ठ जो है वो कल भी थे और आज भी है। और सभी भ्रष्ठ लोगो को आप गोली भी नहीं मार सकते। आवश्यकता है नियमो में सुधार करने की। मानसिकता बदलने की। आज भी हर व्यक्ति अपना काम निकलवाने के लिए चंद घड़ी लाइन में ना खड़ा होना पड़े तो पहले भाई भतीजावाद का सहारा ढूंढेगा। नहीं मिला तो पैसे की धौंस से करवाना चाहेगा। फिर आप कैसे नेताओ और अफसरों पर ऊँगली उठा सकते हो जबकि शैतान आप के अंदर है। वोट के समय भी उम्मीद्वार को ना देखकर आप प्रलोभनों से वोट देते हो।

आंदोलन तब होता है जब आप पर कोई तानाशाही कर रहा हो । आप द्वारा चुनी गई सरकार के आगे आंदोलन का मतलब है पहले खुद को शीशे के सामने खड़ा करें।
जय हिन्द

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