बुधवार, 2 दिसंबर 2015

गीत:- बेख़बर हो ओ  ओ ओ ओ बेख़बर वो

बेख़बर हो ओ  ओ ओ ओ बेख़बर वो

ना इसकी फिकर ना उसका है डर
हर दर्द से अनजान, ना चाहतो का असर

बेख़बर हो ओ  ओ ओ ओ बेख़बर वो

इक झूठी मुस्कान, दूजा स्वर अभिमान
टूटा दिल नहीं, रुसवा है उसकी पहचान

बेख़बर हो ओ  ओ ओ ओ बेख़बर वो

चर्चे उसके होते है अब हर दूकान और मकान
मीनारों और किलों से ऊँची हो गई है उसकी शान

बेख़बर हो ओ  ओ ओ ओ बेख़बर वो

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अंदाज ए यार हो गए बेज़ार
मोहब्बत का नहीं इख़्तियार

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कड़वे शब्द बोलता हूँ