बेख़बर हो ओ ओ ओ ओ बेख़बर वो
ना इसकी फिकर ना उसका है डर
हर दर्द से अनजान, ना चाहतो का असर
बेख़बर हो ओ ओ ओ ओ बेख़बर वो
इक झूठी मुस्कान, दूजा स्वर अभिमान
टूटा दिल नहीं, रुसवा है उसकी पहचान
बेख़बर हो ओ ओ ओ ओ बेख़बर वो
चर्चे उसके होते है अब हर दूकान और मकान
मीनारों और किलों से ऊँची हो गई है उसकी शान
बेख़बर हो ओ ओ ओ ओ बेख़बर वो
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अंदाज ए यार हो गए बेज़ार
मोहब्बत का नहीं इख़्तियार
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