सोमवार, 30 नवंबर 2015

अक्स तलाशती ज़िन्दगी

अक्स तलाशती ज़िन्दगी ओझल हो गई है समस्याओ के काले बादलों में, कोई फुरसत का लम्हें की गुजारिश कर भी लूँ। कोशिशो के बावजूद फिर उसी चोराहे पर मिलता हूँ जहाँ रास्ते तो बहुत है, मगर मंजिल कहाँ होगी मालूम नहीं। हर जगह बेशक गलत हो सकता हूँ में, मगर मेरा दिल भी गलत है ये मालूम ना था। अक्सर सुना है दिल जो कहे वो किया कीजिये। कम्बखत भग दौड़ के ज़माने में हमारा तो दिल इम्तिहान में हार गया। मुझे किसी धर्म/जाति से कोई सारोकार नहीं। मेरी धड़कने एक ही भाषा की मुरीद है जो दिल से छूकर गुजरती हो। जब वो दिल को छूने वाली लहर भी कोई धोखा होने का एहसास दे तो आप के अंदर कोई ज़िन्दगी बाकि नहीं रहती।

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