शनिवार, 5 सितंबर 2015

सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर


सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर
बेदर्दी से दौड़े जा रहा हूँ
ना आज होश है ना कल की खबर

दर्द के सिवा कोई मंजर नहीं
फिर भी बह गया हूँ रसधार में
सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर

नाउम्मीदें के आलम में एक उम्मीद जगाये बैठा हूँ
नफ़रत के माहौल में मोहब्बत लौ जगाये बैठा हूँ
सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर

तू बेशक मुझे तरह तरह के नाम से बुलाता है
पर मेरा दिल सिर्फ एक ही धुन समझ पाता है
तेरे लिए एक ही राग गुनगुनाता है
सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर

बतिया मुझे से तू घडी दो घड़ी
मेरी ज़िन्दगी की टूटे ना लड़ी
तेरे कदमो में मेरी जान है अड़ी
सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर

सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर
सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर
सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर
तेरे दिल को छु जाऊंगा
नफरत के समुन्दर को
मीठे पानी की झील कर जाऊंगा
सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर
सवार हो इश्क़ के घोड़ो पर

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ऐसा आया हूँ तेरे जीवन में
तोहफा समझ रब्ब का अपना बना लेना
ना पसंद आये तो बुरा सपना
समझ कर भूल जाना

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कड़वे शब्द बोलता हूँ