कदम चलती हूँ
लड़खड़ा जाती हूँ
किसी मुश्किल से
बहुत संजोया हर रिशतें को
हर किरदार बखूबी निभाया
दो पल हुई न खुशियां
कि घिर गई
किसी मुश्किल से
टूटती रहती हूँ
फिर भी मुस्कराती हूँ
बेबसी के लम्हों से
खुद को छुपाती हूँ
ये सोच की खो न जाऊ
किसी मुश्किल से
आजमाइश करती रही ज़िन्दगी
मैं नुमाइश बन रह गई ताउम्र
गाँठती रही डोर फिर टूट गई
किसी मुश्किल से
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मुश्किलों से लिखी मेरी कहानी
अब खुशियों से आँसू आ जाते है
हम गम तो बर्दाश्त कर लेते है
खुशियों से घबरा जाते है।।
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