शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

उलझन भरी ज़िन्दगी

कभी मुस्कराती
कभी रुलाती
उलझन भरी ज़िन्दगी

मकसद नहीं
कोई इसका
फिर भी उलझाती है
कभी मुस्कराती
कभी रुलाती
उलझन भरी ज़िन्दगी

बेमतलब का तमाशा
कभी आशा
कभी निराशा
कभी मुस्कराती
कभी रुलाती
उलझन भरी ज़िन्दगी

कोई खींच लेता है
ख्वाहिशों को दबाकर
थोपी जाती है
उनकी मेहरबानियां
कभी मुस्कराती
कभी रुलाती
उलझन भरी ज़िन्दगी

कोई सब कुछ लूटा देता है
कोई सब लूट ले जाता है
कभी मुस्कराती
कभी रुलाती
उलझन भरी ज़िन्दगी

किसी ने सजदा किया
तो किसी ने किया रुस्वा
कभी मुस्कराती
कभी रुलाती
उलझन भरी ज़िन्दगी

बर्दाश्त नहीं किसी को आह भी
कोई उम्र भर की चोट से उफ़ नहीं करता
कभी मुस्कराती
कभी रुलाती
उलझन भरी ज़िन्दगी

किसी ने मतलब से अपनों को खो दिया
कोई बेमतलब गैरो को अपना बना गया
कभी मुस्कराती
कभी रुलाती
उलझन भरी ज़िन्दगी

#
ज़िन्दगी की उलझनें हो जाएँगी कम
गर दिल से लगाना
और किसी को समझाना छोड़ दें

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