गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

khali dil.....................

aaj phir likhne ka mann hua , office mein shanti si chai huyi है. मुझे आज अकेले फिर लिखने का मन किया तो में लिखने लगा, मुझे नहीं लगता की उन दोनों में से कोई भी अपने कार्य के प्रति निष्ठुर है उनके मन में जाने काया चल रहा है, शायद वो लोग एक बैठने का ठिकाना चाहते थे इसलिए ये दफ्तर खोल लिया, पर मुझे तो जीवन में बहुत कुछ करना है में ये सब कब करूँगा अगर मेरा धयेय पैसा कमाना होता और भटकना होता मोह माया के चक्कर में तो में सरकारी दफ्तर में रह कर भी बहुत कुछ कम सकता था, पर मेने वहां से इसलिए छोड़ा ताकि में इस दलदल से बचने के लिए.

दूसरा मतलब ये भी हो सकता है की हम तीनो में से किसी के पास पैसे नहीं जो हम यहाँ लगा सके और बिना पैसे लगाये तो कोई भी व्यापार तरकी नहीं दे सकता . 

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कड़वे शब्द बोलता हूँ