शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

First day

हमे बहुत ही दिनों बाद लिखने का मौका मिला bigadda पर लिखा करते थे जाने क्या हुआ की वो अब बंद हो गयी पर यहाँ नया मंच मिला. शायद ये और अछा हो . जीवन को सादगी से जीने के लिए सरकारी दफ्तर से भी इस्तीफ़ा दे दिया पर हमारे समाज को बैमानी ने इतने बुरे तरीके से जकड रखा है की कोई बदलने का नाम नहीं लेता उल्टा आप को बदल देंगे

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कड़वे शब्द बोलता हूँ