गत दिनों सरकार द्वारा योजना चलाई गई, 'सक्षम'
इस योजना का मकसद बेरोजगार शिक्षित युवाओं को रोजगार का प्लेटफॉर्म मुहैया करवाकर हुनरमंद बनाना था। इस योजना से कर्मचारियों की कमी झेल रहे विभागों को भी फायदा मिला। कुछ विभागों के लिए यह योजना संजीवनी साबित हुई ठीक वैसे उन युवाओं के लिए भी जो लग्न से कार्य करना चाहते थे उनको संबंधित विभागों द्वारा नियमित कार्य दिया जाने लगा, प्रारम्भ में जो कार्य माह तक सीमित था वह अब 6 माह व उससे अधिक दिया जाने लगा।
मुझे भी गत सप्ताह सक्षम युवाओं के साथ काम करने का मौका मिला, मुझे अपना वो समय याद आया जब लगभग 6 वर्ष पूर्व मेने भी सरकारी कार्यालय में कार्य करना प्रारम्भ किया था। मेरे संकोची स्वभाव के कारण मैं कभी किसी कार्य से किसी अधिकारी को मना नही कर पाया शायद उसका परिणाम मुझे समय समय पर नए चुनौतीपूर्ण कार्य करने को मिले, जिसके पश्चात अनुभव में बढ़ोतरी होती गई।
सक्षम युवाओं के साथ जो मेरा अनुभव रहा वो इस प्रकार था:-
सामान्य:- कुछ युवाओं के लिए ये योजना मात्र थी जिनका मकसद केवल सरकारी योजना का आर्थिक लाभ उठाना होता है वो युवा या तो कार्य की कठिनता से घबरा छोड़ जाते है या बेहतर युवाओं के सहारे समय पूरा कर लेते है।
मध्यम:- कुछ युवा जोशीले होते है कार्य करने में उत्साहित रहते है पर इन युवाओं से कार्य करवाने के लिए एक सूझबूझ वाले प्रबंधक की आवश्यकता होती है। जिसके मार्गदर्शन में ये बेहतर युवा बन सकते है।
बेहतर:- इन युवाओं में गजब की क्षमता भरी होती है, केवल कौशल प्रशिक्षण की कमी के कारण , विभाग इनकी प्रतिभा का सही इस्तेमाल नही कर पाते, इन युवाओं में अपने कार्य को करने की गजब की लगन होती है। ये तय समय मे कार्य पूरा कर लेते है।
निजी अनुभव के आधार पर सक्षम युवाओं के लिए कुछ सुझाव:-
1. अनुशासन :- अक्सर सक्षम युवाओं में अनुशासन की कमी देखने को मिलती है, हमे स्कूलों में भी बचपन से सबसे पहला सबक अनुशासन का सिखाया जाता है जोकि अक्सर वक़्त के साथ अव्वल की होड़ में हम भूल जाते है। अनुशासन से अभिप्राय समय की पाबंदी, ईमानदारी से कार्य व आदेशो की पालना है। अधिकारी हो सकता है कि अपने कार्य की गर्ज में आपके व्यवहार को नजरअंदाज करदे, लेकिन ये आपके भविष्य को प्रभावित करने का प्रथम कारक साबित होगा।
2. अधिगम कौशल (सीखने की लग्न):- हर व्यक्ति सभी क्षेत्र में निपुण हो ये आवश्यक नही, लेकिन जब किसी क्षेत्र में हमे अनुभव न हो तो हमे उस क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के कार्य के तौर तरीकों को गंभीरता से सीखना चाहिए, ये समझ कि यह तो मेरा कार्य नही आपकी संकीर्ण सोच को दर्शाता है आगे बढ़ने के लिए जीवन मे फूलों की सेज नही कांटों के भंवर से गुजरना पड़ता है। इसलिए जब कभी कठिन कार्य मिले तो उसके सरल उपायों(शॉर्टकट) की बजाए निपुण व्यक्तियों के सानिध्य में तय मापदंडों के अनुसार कार्य करना चाहिए।
3. ऊर्जावान:- रास्ते कठिन होंगे तो तय है कि ऊर्जा का भी क्षय होगा, तो उस स्थिति में स्वयं को नकारात्मक ऊर्जा से बचकर स्वयं को सकारात्मक ऊर्जा से आगे बढ़ना चाहिए । किसी भी कार्य की सफलता आपके हाथ नही है लेकिन कोशिश पर आपका नियंत्रण है, न हार मानने का जज़्बा एक दिन सफलता को अवश्य प्राप्त करता है।
सक्षम योजना आपके लिए कार्य सीखने का प्लेटफॉर्म है न कि जीविका का साधन, इसलिए अपने को हुनरमंद बनाये और योजना के माध्यम से बने अवसरों से आगे बढ़ने की कोशिश करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें