शनिवार, 21 सितंबर 2013

अँधेरे की और

जब भी हम जीवन में सफ़ल नहीं हो पाते तो हमे सब तरफ अँधेरा नजर आता है ऐसे में निराशावादी सोच के कारण हमारा हर फैसला हमे अँधेरे की और धकेल देता है

समस्या इतनी नहीं है आप के आसपास के लोग भी आप को हिम्मत देने की बजाये तोड़ने का काम करते है अक्सर ऐसे मौको पर उन बातों से ज्यादा निराशा होती है जिनसे जीवन में कोई सरोकार भी नहीं होता
जैसे आप एक रसोइये है और आप को लगने लगता है की आप को गाली चलानी नहीं आती जिन का आपस में दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं वो बातें कचोटने लगती है आप का दिमाग ख़राब कर देती है
अब आप कहेंगे की इन सब बातो से बचने का तरीका क्या है तरीका बहुत मुश्किल है क्यों की उस तरीके में समाज द्वारा आप को लापरवाह वगेरे वगेरे तमगे दे दिए जाते है की आप ने इतना सा भी ध्यान दिया तो भी आप की हार है
तो हम बात कर रहे थे की अँधेरे से कैसे बचा जाये सिर्फ रौशनी जल कर विश्वास की रौशनी भरोसे की रौशनी अपने अंदर के जूनून की रौशनी जो बुरा हो रहा है उस पर शयन न देकर ये सोचे की आप का नंबर अभी नहीं आया आप का भी वक़्त आएगा आप ने बस करम करते रहना है सफलता के लिए कार्य करना अति आवश्यक है अगर आप को बोरियत हो थोडा सा ध्यान लगाये उन बातो नें जिनसे आप को सची ख़ुशी मिलती हो जैसे किसी को टेलीविज़न देखना किसी को इन्टरनेट करना या और भी कोई अची या बुरी आदत जिस से दिमाग को सकूं मिले
बस मुझे इतना आता था आप के साथ बांटा
नमस्ते
आप का विकास सिंह चोपड़ा

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