कौन कैसा है
अच्छा या बुरा
इस बात पर नहीं बात करनी , आज बात कहनी है एक व्यक्तिगत भावनाओं की, अक्सर हम कहते है कि केवल बेटी जब बाबुल का घर छोड़ती है तो वो पल गम और खुशी एकमात्र पल होता है, मैं इसके पूर्णत विरोध में हूँ।
ऐसे भावुक पल जिंदगी में बहुत बार आते है बस कुछ महसूस करते है कुछ हल्के में गुजर देते हैं।
मेरे लिए ये पल बहुत बार आए, मुझे जब अपने दोस्त छोड़ने पड़े, वो हालांकि अपने उम्दा भविष्य के लिए आगे बढ़ जाते है। उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना तो होती है ख़ुशी का पल होता है, ठीक वहीं दिल में जोर से कसक उठती भी है। और लगता है सब छूट रहा है। और ये बात आपके दिल में ही घर कर जाती है, कुछ लम्हों बाद दिल उन दोस्तों की अच्छी यादों को नसीब मानकर एक मन मंदिर में तस्वीर बना देता है।
बस यूँ दिल भावुकता के पल को सँजो लेता है।
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