गणतंत्र दिवस आने वाला हो तो सभी स्कूल और में रिहर्सल शुरू हो जाती है। गणतंत्र दिवस को भव्यता से मनाने के लिए पुरजोर प्रयास करते है। मगर शिक्षण संस्थानों से बाहर क्या होता है क्या आप जानते है?
कर्मचारियों के लिए 26 जनवरी एक छुट्टी का दिन होता है, आप लोगो के लिए भी 26 जनवरी सरकारी छुट्टी है पूछोगे किस बात कि तो कहेंगे 26 जनवरी की, आधे से ज्यादा लोग इतना भी नहीं बता पाएंगे कि गणतंत्र दिवस है उसका महत्व तो दूर की बात।
टुकड़ों में बंटे इस भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोने के लिए बना था भारत का सविंधान, जिसका मकसद था यहां रहने वाले लोग एक समान है चाहे वो किसी जाति, रंग, क्षेत्र या समुदाय से सम्बंध रखता हो। सबको समान अधिकार दिए गए। आज आधुनिक समाज उस मूल भावना को खो चुका है। तरक्की की अंधी दौड़ में सामूहिक हितों के एवज में निज हिट सर्वोपरि हो गए है। अब लोग सामाजिक कुरूतियों की बजाए , किसी एक समाज या व्यक्ति के हितों के लिए हिंसक प्रवृति से आंदोलन कर रहे है। हम जाने अनजाने उसी पथ की और भाग रहे है जिस पथ पर प्राचीन समय में अलग अलग रियासतों के राजा महाराजा करते थे।
मेरी नजरों में हमे गणतंत्र दिवस के समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ कुछ नवीनकरण भी करना होगा। संविधान की मूल भावना को जनमानस के पटल पर बिठाने के लिए, स्कूल कॉलेज के प्रांगण से निकलकर, नुक्कड़ नाटकों से लोगो को जागरूक करना होगा ताकि सही मायनों में संविधान की महत्ता को आमजन तक पहुंचाया जा सके। जय हिंद।
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