राजा कर्ण के नाम से सम्बोन्धित जिला करनाल, भगोलिक दृष्टि से देश की राजधानी नई दिल्ली व् प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पर स्थित है
धान के कटोरे के रूप में विश्व प्रख्यात करनाल में खुले में शौच जाना भी एक कुप्रथा थी, आर्थिक रूप से संपन्न जिला केवल मानसिकता की वजह से खुले में शौच जा रहा था, गाँव की फिरनी पर आप चल नहीं सकते थे, दुर्गन्ध व् गंदगी का वो आलम था इन रास्तों पर कोई जाना पसंद नही करता था।
जून 2016 तक जिला करनाल के केवल 19 ग्राम पंचायत खुले में शौच मुक्त हो चुकी थी इस गति से चलने में जिला करनाल को पूर्णत खुले में शौच मुक्त होने में बरसो लग जाते, जिला उपायुक्त की प्रबल इच्छाशक्ति से clts की 21 जून से 25 जून तक प्रशिक्षण दिया गया जिसमें खण्ड स्तर से चयनित 180 मोटिवेटर को 5 दिवसीय प्रशिक्षण के साथ विभागीय अधिकारी/कर्मचारी, आंगनवाड़ी वर्कर,आशा वर्कर, पंचायत समिति सदस्य, स्वयंसेवी संस्थाओं को भी एक एक दिन की कार्यशाला में खुले में शौच जैसी विकट समस्या से समाज की भागीदारी से लड़ने के गुर सिखाए गए।
प्रशिक्षण के पश्चात् जिला करनाल ने प्रथम चरण में 133 मोटिवटरों के साथ 148 ग्राम पंचायतों में कार्य शुरू किया। प्रथम चरणों में उन गाँवों को चयनित किया गया जो छोटे थे उन गाँवों का चयन का मकसद जल्दी से खुले में शौच मुक्त कर अन्य ग्राम पंचायतों के लिए उदारहण के तौर पर रखना था ,
मोटिवटरों ने चयनित गाँव में प्री ट्रिगरिंग की ताकि ट्रिगरिंग के दिन समुदाय की अधिकतर भागीदारी हो सके।
ट्रिगर के दौरान ग्रामीणों को उनकी खुले में शौच की आदत से होने वाली बीमारियों व् दुष्प्रभावो से मैपिंग, खुले में शौच स्थानों का भ्रमण इत्यादि माध्यमो से जागरूक किया।
ट्रिगर से प्रभावित गाँव के स्वयंसेवी आगे आये उन्होंने गाँव को खुले में शौच मुक्त करने का संकल्प किया। निगरानी समितियों का गठन किया। घर घर जाकर उन घरों को चिन्हित किया जिन घरों में शौचालय नही थे। रोज सुबह शाम निगरानी करके दिन में शौचालय रहित परिवारों के घर जाकर उनको प्रेरित किया।
अतरिक्त उपायुक्त द्वारा मीटिंगों में ज्ञान साझा नव विचार हुआ सफल, जिस से मोटिवटोरों को आपसी समस्याओं के समाधान मिले, व् दूसरे गाँवों की सफल कहानिया बनी प्रेरणास्त्रोत।
प्रथम चरण की 100 से अधिक पंचायतों के खुले में शौच मुक्त होने पर द्वितीय चरण में 120 गाँवों का चयन किया गया तथा इसी क्रम में तीसरे चरण में शेष पंचायतों को लिया गया।
जिला टीम द्वारा मॉनिटरिंग के ऑनलाइन व् ऑफलाइन दोनों प्रारूप अपनाये गये,
ऑनलाइन व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाकर जिला कार्यालय से मॉनिटर किया गया, कार्यालय स्टाफ समस्याओं को नोट कर , लाइन डिपार्टमेंट से संपर्क स्थापित कर समस्याओं के समाधान करता,
वहीँ जमीनी स्तर पर जिला सलाहकार की अगुवाई में दो टीम गाँवों का भ्रमण करती, निगरानी समितियों से सुबह शाम फॉलोअप पर उनका मनोबल बढ़ाने व् समन्वय स्थापित करती।
जागरूकता फैलाने के लिए खुले में शौच मुक्त पंचायतों
के उत्सव किये गए, मीडिया के माध्यम से दूसरे गाँव के लिए प्रेरणादायक बने गांव।
जैसे चोचड़ा गाँव स्कूली 150 छात्रओं द्वारा निगरानी करना, मुनक गाँव को 15 स्वयं सहायता समूह द्वारा खुलें में शौच मुक्त करने में अहम् योगदान
गोली की बुजर्ग माता ने स्वयं की शौचालय की गारे से चिनाई, बुजर्ग राम सिंह बने सजग प्रहरी, दो ग्राम पंचायतें करवाई खुले में शौच मुक्त।
न जाने कितने छोटे छोटे महत्वपूर्ण फैसले व नव विचार बने कंचन करनाल बनाने के मील के पत्थर।
खुलें में शौच मुक्त होने पर दिनाक 01 मार्च 2017 को किया गया भारत सरकार द्वारा करनाल के लोगो को सम्मानित।
हमारे मेहनती टीम और ग्रामीणों के सहयोग से हम odf निरंतरता बनाये रखने को है वचनबद्ध, जय स्वच्छता,
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