पर्दा मेने किया,
नजरें उसकी चुभती थी 😢
बेपर्दा हुई जिस दिन
गुनाहगार भी , मैं ही हो गई😷
हर इंसान में अक्स है मेरा
आखिर लूटती फिर भी मैं ही हूँ 😥
मेरे ही आँचल में पलता बढ़ता मासूम
फिर किसी मासूम का आँचल छीन लेता है 😔
ख़ुद के अक्स से बच कर जाऊ भी कहाँ
मेरी ममता की आड़ में, ज़िन्दगी उजाड़ देता है 😧
जो सुना था, वो समझ लिया, एक उम्र गुजार कर
आखिर लोहे ने ही लोहे को काट दिया
मेरी ममता, मासूमियत और प्रेम को भी बाँट दिया
एक औरत को अपनी जरुरत(हिस्सों में) से दुनिया ने छाँट(चुन) लिया
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