आज एक प्रोग्राम देखा NDTV पर दूसरी बार , एंकर ने एक बात जो मुझे आधारहीन लगी . उन्होंने कहा समाज कौन है मेरी व्यक्तिगत जीवन में दखल देने वाला . समाज कौन होता है बंदिशे लगाने वाला।
में ये नहीं कहता की मेरे तथ्य ही ठीक है मेरे में अपने विचार जरूर पेश करना चाहूँगा
सब से पहले समाज से दूरियां बनाने का नुक्सान ये है की हम कुछ बुरइयो के शिकार हो जाते है।
जैसे की किसी भी एरिया में परिवारों के साथ वाले घरो में कोई लिव इन रिलेशन वाले रहते है तो परिवारों को इस बात पर ऐतराज़ होता है। और ये वो परिवार होते है जो अच्छे से शिक्षित और उच्च पदों पर या आचे व्यपारी होते है। उनको डर होता है की उनके बच्चो पर इसका बुरा असर पड़ेगा लेकिन हमारे न्यायलय का नजरिया / फैसला इस से विपरीत होगा
और ये सोच जिस में की समाज को हमारे जीवन में दखल देने का हक नहीं का सब से बड़ा नुक्सान देखने को मिलता है जहाँ इस विचारधारा के लोग रहते है जिनकी वजह से अगर पास वाले घर में कोई झगडा / चोरी या कोई अन्य अपराधिक घटना हो रही हो तो कोई नहीं जाता क्या ये ही है इंसानियत . जब की गाँव व् अन्य जगह जहाँ लोग आपस में एक दुसरे की जिंदगियो में दखल देते है वहां ये घटनाये बहुत ही कम है मेरी तो ये ही राय है उन एंकर से की वो 100 करोड़ से अधिक लोग को अपनी बात पहुंचा रहे है कही उनके इन विचारो से समाज टूट जाये और इस तनाव के दौर में और अकेले हो जाये .
और बात हुयी थी औरतो के हक की तो शायद दुनिया में हम से ज्यादा सम्मान भी औरतो का कोई नहीं करता एक मेरे देश ही है जिसके समाज ने औरत को देवी माना है
और में खप का हिमायती नहीं हूँ और ना विरोधी में , हर उस बात का हिमायती हूँ जो इंसानियत या हमारी आने वाली नस्लों को अमन और ख़ुशी से भरी विरासत दे।
में ये नहीं कहता की मेरे तथ्य ही ठीक है मेरे में अपने विचार जरूर पेश करना चाहूँगा
सब से पहले समाज से दूरियां बनाने का नुक्सान ये है की हम कुछ बुरइयो के शिकार हो जाते है।
जैसे की किसी भी एरिया में परिवारों के साथ वाले घरो में कोई लिव इन रिलेशन वाले रहते है तो परिवारों को इस बात पर ऐतराज़ होता है। और ये वो परिवार होते है जो अच्छे से शिक्षित और उच्च पदों पर या आचे व्यपारी होते है। उनको डर होता है की उनके बच्चो पर इसका बुरा असर पड़ेगा लेकिन हमारे न्यायलय का नजरिया / फैसला इस से विपरीत होगा
और ये सोच जिस में की समाज को हमारे जीवन में दखल देने का हक नहीं का सब से बड़ा नुक्सान देखने को मिलता है जहाँ इस विचारधारा के लोग रहते है जिनकी वजह से अगर पास वाले घर में कोई झगडा / चोरी या कोई अन्य अपराधिक घटना हो रही हो तो कोई नहीं जाता क्या ये ही है इंसानियत . जब की गाँव व् अन्य जगह जहाँ लोग आपस में एक दुसरे की जिंदगियो में दखल देते है वहां ये घटनाये बहुत ही कम है मेरी तो ये ही राय है उन एंकर से की वो 100 करोड़ से अधिक लोग को अपनी बात पहुंचा रहे है कही उनके इन विचारो से समाज टूट जाये और इस तनाव के दौर में और अकेले हो जाये .
और बात हुयी थी औरतो के हक की तो शायद दुनिया में हम से ज्यादा सम्मान भी औरतो का कोई नहीं करता एक मेरे देश ही है जिसके समाज ने औरत को देवी माना है
और में खप का हिमायती नहीं हूँ और ना विरोधी में , हर उस बात का हिमायती हूँ जो इंसानियत या हमारी आने वाली नस्लों को अमन और ख़ुशी से भरी विरासत दे।