गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

अधूरा

पत्थरो से लिखा किरदार मेरा,
सख़्त बड़ा है फिर भी रिसता है
अकड़ से खड़ा है अभिमान मेरा
रिश्तों की ख़ातिर अक्सर पिसता है

1 टिप्पणी:

कड़वे शब्द बोलता हूँ