Sochta hoon ki har pal likhoon par likhne baithta hoon to wo pal hi gujar jata hai
गुरुवार, 21 नवंबर 2019
खुशियाँ
सोमवार, 11 नवंबर 2019
पीड़ा
जिस्म नोच लिया है तुमनें, यक़ीन नहीं होता होगा तुम्हे तो क्योंकि अन्धे हो चुके हो ख़्वाहिशों के स्वार्थ में और झूठी शोहरत की आस में, मग़र मेरा जिस्म का कतरा कतरा रोज तुम्हारी बर्बरता की भेंट चढ़ रहा है। मेरा दिल समझ नही पा रहा कि उसे सजा ख़्वाहिशों की मिली है या उसकी नेकदिली की जो एक रंग बदलते व्यक्तित्व पर उसने आँख बंद कर भरोसा कर लिया और फिर एहसास ऐसा दिलाया कि ग्लानि से मेरा मन भर दिया जैसे मुझ से बुरा व्यक्ति इस धरती पर न कोई हुआ है न कोई होगा। कमाल का व्यक्तित्व है उनका कि सभी कर्तव्य मेरे लिए छोड़ दिए और अधिकारों का हक स्वयं के लिए सुरक्षित रख लिया।
वास्तव में समय हाँ जी की हामी का है, काश मुझे भी ये गुण मिल गया होता तो मैं भी रिश्तों में सफल हो पाता मग़र मुझे उसूलों और अपनों को सही रास्ते पर चलाने की पुरातन विचारधारा सबसे अलग कर देती है। आज कोई भी अपनी बुराइयों को नही सुन सकता, और मुझे बुरी आदत है सब साफ साफ कह देने की, भला फिर कौन मुझे पसंद करता। ख़ैर छोड़िए समस्या यह नहीं है समस्या है जो कल मेरे साथ थे उनमें हजार बुराइया थी आज जब उन्होंने ने हाथ थाम लिया तो सब पवित्र हो गए। अजीब दास्तान है वर्तमान के छलावे की। आज की तिथि में मेरा न कोई उद्देश्य, न कोई मित्र, न कोई ध्येय है। जीवन उसके दुष्चक्र में इतना प्रभावित हुआ रोज मानसिक रूप से क्षीण होता जा रहा हूँ। कोशिश रोज करता हूँ इस प्रताड़ना से बाहर आने के लिए अच्छे बुरे सभी विकल्प तलाश रहा हूँ। मग़र अंधकार की इस दुनियाँ में कोई आशा की किरण नजर नहीं आती। शायद मैं आवश्यकता से अधिक सोच रहा हूँ क्योंकि जिनके लिए सोच रहा हूँ उन्हें तनिक भी प्रभाव नही पड़ता। वैसे पड़ना भी नही चाहिए उनका मकसद और उद्देश्य तो सार्थक हुआ है वो अपनी जगह शत प्रतिशत सही है। जीवन में वो सब व्यवहारिक रहे मुझे ही मित्रता व अपनेपन का शौक चढ़ा था अब ठगा हुआ सा दोष उनमे ढूंढ था हूँ जबकि ख़ुद कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया मेने, और अब इन जख्मों का कोई इलाज नहीं क्योंकि घाव इतने गहरे जो हो गए अब तो मृत्यु शैय्या ही इन सब व्यर्थ के विचारों से मुक्ति दिला सकती है। वो हालांकि हमारे हाथ नहीं मगर तब तक ये जिस्म सिवाए लाश और कुछ नहीं। गुनाहगार हूँ किस किस दिल का, जो वक़्त नहीं कट रहा मुश्किल का ,
न कोई मित्र
न कोई शत्रु
जरूरत से बंधे है रिश्ते आजकल