बुधवार, 30 मार्च 2016

कशमकश में हूँ मैं

कश्मकश में हूँ मैं
वो मेरा है
दिल कहता है
हो सकता नहीं

भुलाना भी चाहूँ गर उसे
मेरी साँसे क्यों टूटती है
एक पल को लगे
पीछे दुनिया छूटती है
कश्मकशम मे हूँ मैं

वो बेशक़ भूला सा लगता है मुझे
कहीं राहों पर फिर मिल जाता है
मेरा उदास चेहरा खिल जाता है
वो नजरें क्यों फिर चुराता है
कशमकश में हूँ मैं

मंगलवार, 22 मार्च 2016

मैं औरत हूँ

काँच की तरह रोज टूट जाती हूँ
अपने ही वजूद से पीछे छूट जाती हूँ

हर दिन नया ज़ख्म, मेरे जिस्म पर उकेर देता है
अपनी हवस और क्रोध से, मेरी रूह हर लेता है

बेबसी का ये मंजर, दशको से मेने ही झेला है
खुशियो को जब भी चाहा, पीछे ही धकेला है

बर्बरता का आलम तो देखो उस वहशी का
नफ़रत भी हमसे, और मोहब्बत का तकाजा भी

अस्तित्व की लड़ाई मैं हार गई मैं लड़ते लड़ते
नोच गया मेरा जिस्म वो, बेजान मानकर

मेरी रूह  को तार तार कर गया, जबरदस्ती मोहब्बत से
कौन सा सकूँ मिल गया उसे, मेरी बंजर सी धरती से

सोमवार, 14 मार्च 2016

मैं ही हूँ बस, ए दिल

हक़ जताना छोड़ दें ए दिल
कोई साथ नहीं निभाता
है ज़िन्दगी जब तलक
मैं ही हूँ बस, मैं ही हूँ बस

पल दो पल को मिलते है लोग
अपने हिसाब से दुनिया बनाते
गम छोड़ उन लोगो के जाने का
मैं ही हूँ बस, मैं ही हूँ बस

दिमाग ने भी बहुत समझाया तुझे ए दिल
तेरी बनाई दुनिया में जीना है मुश्किल
पत्थर रख ले अरमानो की गठरी पर तू
मैं ही हूँ बस, मैं ही हूँ बस

समझ जरा तेरे लिए कोई दिल न बना ए दिल
बस आंसुओ पर खत्म होती है तेरी हर मंजिल
छोड़ दे और जान ले, चाहे  आज हो या कल
मैं ही हूँ बस, मैं ही हूँ बस



शनिवार, 12 मार्च 2016

कांटा बन चुभता हूँ मैं

जिनके दिलों के गुलाब होते थे
अब कांटा बन चुभता हूँ मैं

जिनके ख़्वाबों में हुआ करते थे हम
दूस्वप्न बन नासूर बन गया हूँ मैं

ख़ुदा की इबादत थे जिनकी नजरों में हम
आज उन क़दमों की ठोकर बन गया हूँ मैं

उम्र भर कड़वे शब्दों के जाम की बात करते थे जो
आज कागज के टुकड़े समझने लगे है वो

बस कुछ इस तरह ही दुखता हूँ मैं
अब कांटा बन चुभता हूँ मैं

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

एक दोस्त

एक दोस्त
मिलता है
वादा करता
जिंदगी के
गुर सिखाने का

एक दोस्त
एक नदी में
तैरने की कला
वो सिखाने ले चला
जाने फिर क्या हुआ
हाथ छुड़ाया
अनजानों से मिलाया
छूमंतर हो गया

एक दोस्त
उम्मीदें जगाता है
होंसला बढ़ाता है
फिर क्यों
एक दिन
सब तोड़
सब छोड़
निकल जाता है
एक दोस्त एक दोस्त

गुरुवार, 3 मार्च 2016

औरत के समर्पण की पहचान है वो

हर कदम लड़ती है
तब ही साहसी लगती है

ज़िन्दगी उसके लिए मुश्किलें चुनती है
वो बस हर मुसीबत का हल बुनती है

हर गम ने आकर उसको घेरा है
पर उसके दिल में रौशनी का बसेरा है

मोतियों सा चमकता रहता है वो
बेशक मायूसी का उम्र भर साया हो

होंठो से खुशियों को बांटता है हर पल
बेशक़ उदासी से भरा है उसका हर पल

हौंसलों की उड़ान है वो
मजबूती की पहचान है वो

औरत के समर्पण की पहचान है वो

बुधवार, 2 मार्च 2016

ओह सजन रे

मोतियों सा चमके है तू
अँखियो में दमके है तू
ओह सजन रे

धड़कनो का साज हो गया तू
मेरा कल और आज हो गया तू
ओह सजन रे

पलकों के तले रहने लगा है तू
साँसों संग बहने लगा है तू
ओह सजन रे

रगों में बहता है दर्द बनकर तू
ज़िन्दगी में हो शामिल दवा बनकर तू
ओह सजन रे

ज़िन्दगी भर की जागीर तो नहीं तू
बस दो पल का सुखद मिलन बन जा तू
ओह सजन रे

कड़वे शब्द बोलता हूँ